WWW का पूरा नाम World Wide Web है। वेब का शाब्दिक अर्थ है जाल क्योंकि यह पूरी दुनिया में फैले कम्प्यूटरों में संचित है सूचनाओ का समुह है।
अविष्कार:–
इसका आविष्कार 1989 में हुआ था स्विटजरलैण्ड के एक वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र CERN के वैज्ञानिक श्री बनैर्स ली (Berners Lee) ने एक दुसरे जुडे दस्तावेज के जाल को बनाने का प्रस्ताव रखा ।
इसके दो साल बाद 1991 में सबसे पहला पाठ्य आधारित (Text Based) प्रोग्राम तैयार किया गया जिससे दस्तावेज को जोडकर उन्हें उसी प्रकार दोबार प्राप्त किया जा सकता है।
उसके बाद 1994 में मार्क एंडरसन (Marc Anderson) ने ग्राफिक्स आधारित (GUI Base) प्रोग्राम मोजाइक (Mosaic) तैयार किया जिससे www का प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद www के आगे विकास के लिए CERN तथा MII संस्थाओं ने एक Agreement हस्ताक्षर किये थे।
शुरूआत:–
वर्ल्ड वाइड वेब शुरूआत के कई वर्षों तक इंटरनेट को सिर्फ संदेशों सूचनाओं के अदान-प्रदान के माध्यम के रूप में प्रयोग किया गया जहाँ सूचनाओं के प्राप्तकर्ता सूचना के लिए उसके भेजने वाले पर निर्भर करता था अर्थात जब सूचना भेजी जाएगी तब ही सूचना मिलेगी।
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उस समय इन्टरनेट पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी कि सूचनाओं को कहीं संग्रहित करके रखा जा सके ताककि प्राप्तकर्ता उसे अपनी सुविधानुसार प्राप्त कर सके। बाद में इन्टरनेट पर कुछ ऐसे कम्प्यूटरों को शामिल किया गया।
जहाँ डाटा संचित करके रखा जा सकता है। ये कम्प्युटर सूचनाओं के भण्डार है, एक दूसरे से सम्बन्धित है तथा अपने प्रयोगकर्ता को मांग पर सूचना उपलब्ध करवाते है।
वर्ल्ड वाइड वेब की विशेषताएं:-
1 सूचना संगठन (Information Organization):-
WWW सूचनाओं का अथाह भण्डार है। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये सभी सूचनायें WWW में बिखरी हुई नहीं वरन् उन्हें बहुत ही व्यवस्थित रूप से संगठित करके रखा गया है। प्रत्येक Web site या Web server को उसमें संचित सूचना के आधार पर वर्गीकृत करके रखा गया है।
यदि प्रयोगकर्ता को किसी विषय पर कुछ सूचना प्राप्त करनी है। लेकिन उसे यह नहीं पता कौनसे server पर मिलेगी तथा उस server का इन्टरनेट एड्रेस क्या है, फिर भी वह अपनी इच्छा से खोज सकता है। सर्च इंजन कहते है।
2 हाइपरटेक्स्ट प्रणाली (Hyper Text System):–
किसी भी साधारण टेक्स्ट की तुलना में हाइपरटेक्स्ट एक ऐसा टेक्स्ट है जो स्वयं तो एक सूचना प्रदान करता ही है। उसके अतिरिक्त उसमें अन्य सूचनाओं के लिंक मौजूद होते हैं जिन पर माउस से क्लिक करने पर उन सूचनाओं तक पहुँचा जा सकता है।
3 ग्राफिल यूजर इन्टरफेस(Graphical User Interface):-
WWW से सम्बन्धित सभी Web site तथा उनमें उपलब्ध Web Page GUI पद्धति पर आधारित होते है। जिस कारण प्रयोगकर्ता द्वारा उन्हें प्रयोग लेना काफी आसान होता है।
किसी भी सूचना को किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है। उसकी सम्पूर्ण जानकारी वहीं उपलब्ध होती है जिस कारण एक अनुभवहीन प्रयोगकर्ता भी आसानी से सूचना प्राप्त कर सकता है।
4 अन्त क्रियात्मकता (Interactivity):-
अंतः क्रियात्मकता web सर्वरों का सबसे मुख्य गुण है। इसके अर्न्तगत हम सिर्फ ऐसी Web site या Web page दस्तावेज ही नहीं बना सकते जो कि सिर्फ सूचनाये देने का कार्य करते है अर्थात जहाँ एक तरफा संचार होता है।
बल्कि कुछ ऐसी Web site तथा Web page भी बना सकते है। जो प्रयोगकर्ता से अन्तःक्रिया भी करते है। इन वेब साईटों से जुड़ने पर हमें न सिर्फ उपस्थित सूचना मिलती है वरन् वांछित सूचना प्राप्ति के लिए हम अपने जरूरत को इनपुट भी कर सकते है।
Summary:-
हम ने इस आर्टिकल में जाना है की WWW क्या है में उमिद्द करता हु की आप को यह आर्सटिकल अच्मछा लगा होगा। धन्यवाद |