हेल्लो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे की Trading And Investing क्या होता है और इनमे क्या Difference है ।
Trading क्या है?
बहुत सारे लोगों को लगता है कि Trading And Investing इन दो शब्दों का मतलब एक ही है। जबकि ऐसा नहीं है। Trading में शॉर्ट टर्म के लिए यानी कुछ सेकंड से लेकर कुछ महीनों तक शेयर को होल्ड किया जाता है।
कितने प्रकार से Trading की जाती है?
वैसे Trading के अलग अलग टाइप्स होते हैं जैसे कि Scalp Trading, Intraday Trading, Swing Trading, Position Trading इत्यादी
- Scalp Trading में शेयर को कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट के लिए होल्ड किया जाता है।
- Intraday Trading का मतलब उसके नाम से ही पता चलता है। जिस दिन अपने शेयर ख़रीदे अगर आप उन्हें उसी दिन भेजते हो तो उसे इंटरनेट Trading कहते हैं। यह Trading का सबसे पॉपुलर तरीका है।
- Swing Trading में शेयर को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक होल्ड किया जाता है।
- Position Trading में शेयर को कुछ महीनों के लिए होल्ड किया जाता है।

BSTS Trading:-
इनके अलावा Trading का एक और पॉपुलर तरीका है जिसका नाम है BTST यानी Buy Today Sell Tomorrow आज खरीदना और कल बेचना होता है ।
Traders स्टॉक प्राइस मूवमेंट से पैसा बनाने की कोशिश करते हैं। Traders अपने एनालिसिस के लिए टेक्निकल एनालिसिस का यूज़ करते है। टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट की मदद से प्राइस और वॉल्यूम के पैटर्न का एनालिसिस किया जाता है। और फिर स्टॉक की सप्लाई डिमांड को और ट्रेडर्स की साइकोलॉजी को समझने का प्रयास किया जाता है।
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Investing क्या है?
जो लोग Trading करते है उन्हें ट्रेडर्स कहते हैं। वहीं इन्वेस्टिंग में लॉन्ग टर्म के लिए यानी 1 साल से ज्यादा टाइम इन्वेस्ट किया जाता है। जो लोग इन्वेस्टिंग करते हैं उन्हें इन्वेस्टर्स कहते हैं। इन्वेस्टर्स शेयर को खरीद कर होल्ड करना पसंद करते हैं।
इन्वेस्टर्स किसी कम्पनी में इन्वेस्ट करने को कंपनी में पार्टनरशिप यानी भागीदारी की तरह देखते हैं और उन शेयर में सालों तक बने रहते हैं। इन्वेस्टर्स हमेशा बिजनेसमैन की तरह सोचते हैं। जिस तरह बिजनेसमैन किसी बिज़नेस को समझते हैं और बड़ी बारीकी से उसे देखते है ।
इन्वेस्टिंग में कंपनी एनालिसिस के लिए फंडामेंटल ऐनालिस्ट को फॉलो किया जाता है। इन्वेस्टिंग में दो फिलोसोफर्स है। वैल्यू इनवेस्टिंग और ग्रोथ इनवेस्टिंग। जैसे की हमने देखा कि ट्रेडर्स का ध्यान स्टॉक प्राइस वॉल्यूम पर होता है। वहीं इन्वेस्टर्स का ध्यान कंपनी के फंडामेंटल्स पर होता है।
लॉन्ग टर्म में स्टॉक प्राइस कंपनी की ग्रोथ को फॉलो करते हैं, इसलिए इनवेस्टर्स कंपनी के फंडामेंटल्स का एनालिसिस करते हैं, वहीं शॉर्ट टर्म में बहुत सारी वॉलेटिलिटी होती है। इसलिए ट्रेडर्स फंडामेंटल की बजाय टेक्निकल एनालिसिस का यूज़ करते हैं, जिससे स्टॉक प्राइस और वॉल्यूम का एनालिसिस किया जाता है।
दोस्तों आज का यह आर्टिकल कैसा लगा ? और आपका कोई प्रशन या सुझाव है तो आप हमें कमेंट करके जरुर बताना धन्यवाद् ।