हेल्लो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे Primary Market and Secondary market को Stock Market पॉइंट ऑफ क्यूँ से समझेंगे।
Primary Market:-
प्राइमरी मार्केट में नई सिक्यूरिटीज जैसे कि नए शेयर और बॉन्ड इश्यू किए जाते हैं। इसलिए प्राइमरी मार्केट को न्यू इश्यू मार्केट भी कहते हैं। प्राइमरी मार्केट में कम्पनीज़ इन्वेस्टर्स को शेयर बेचती है।
जिससे उस कंपनी को फंड यानी पैसा मिलता है और जिन इनवेस्टर्स ने उस कम्पनी में इन्वेस्ट किया है। वो उस कंपनी में भागीदार बन जाते हैं। प्राइमरी मार्केट में सीधे कंपनी और इन्वेस्टर्स के बीच ट्रांजैक्शन होता है।
Primary Market में इनवेस्टर्स ने इन्वेस्ट किया हुआ पैसा सीधे कंपनी के पास जाता है। और इनवेस्टर्स को कंपनी के शेयर मिल जाते हैं। जिससे वो उस कंपनी में भागीदार बन जाते हैं। प्राइमरी मार्केट में कंपनी अलग अलग मेथड से फंड रेस कर सकते हैं। जैसे की पब्लिक इश्यू।
प्राइवेट प्लेसमेंट राइट इश्यू इत्यादी तो पहले बात करते हैं पब्लिक इश्यू यानी आईपीओ की। जब कोई कंपनी पहली बार पब्लिक को अपने शेयर बेचती है तो उसे आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हैं।
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वहीं प्राइवेट प्लेसमेंट में कंपनी पब्लिक के बजाय कुछ सिलेक्टेड इन्वेस्टर्स को ही अपने शेयर बेचते हैं। जैसे कि म्यूचुअल फंड्स इंश्योरेंस कंपनी, वेंचर कैपिटल बैंक इत्यादी। अब राइट इश्यू की बात करते है। राइट इश्यू में कंपनी अपने एग्ज़िस्टिंग यानी मौजूदा शेयरहोल्डर्स को शेयर बेचकर फंड उठाती है।
फॉर एग्ज़ैम्पल अगर ABC कंपनी वॅन टू राइट इश्यू ला रही है तो इसका मतलब है कि दो शेयर के पीछे एबीसी के शेयर होल्डर्स एक्स्ट्रा शेयर खरीद सकते हैं। राइट इश्यू में इश्यू होने वाले शेयर की प्राइस नॉर्मली उस स्टॉक की करेंट मार्केट प्राइस से कम होती है।
Primary Market में इन्वेस्टर्स सिर्फ शेयर खरीद सकते हैं। वे उन्हें बेच नहीं सकते। अगर आपको प्राइमरी मार्केट में ख़रीदे हुए शेयर सेल करने है तो आपको उन्हें सेकेंडरी मार्केट में सेल करना होगा।

प्राइमरी मार्केट में जैसे कि आईपीओ में कंपनी अपने शेयर इन्वेस्टर्स को भेजती है और आईपीओ प्रोसेसर पूरी होने के बाद यानी इन्वेस्टर्स को शेयर अलॉट होने के बाद वो स्टॉक स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाता है।
Secondary Market:-
स्टॉक एक्सचेंज Secondary Market है। जहाँ आईपीओ में ख़रीदे हुए शेयर बेच सकते हो जिन्हें स्टॉक एक्स्चेंज क्या होता है। ये पता नहीं है। तो उनके लिए मैं बता देता हूँ स्टॉक एक्स्चेंज एक मीडियम है।
जो बाइकर्स यानी शेयर खरीदने वालों को और सेलर्स यानी शेयर बेचने वालों को मिलता है । और जहाँ बायर्स और सेलर्स के बीच शेयर का लेन देन होता है। जब भी हम स्टॉक मार्केट का नाम सुनते हैं तब हमारे सामने स्टॉक एक्सचेंज आ जाता है जो कि सेकेंडरी मार्केट है।
तो जब हम स्टॉक एक्सचेंज पर यानी BSE या NSE पर शेयर खरीदते है या बेचते है। तब हम एक्चुअली सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड कर रहे होते हैं। सेकेंडरी मार्केट में शेर और पैसे दोनों ही इन्वेस्टर्स के बीच एक्सचेंज होते हैं, सेकेंडरी मार्केट में जो ट्रांजैक्शन होते हैं। उनमें कंपनी शामिल नहीं होती।
उदाहरण के तोर पर अगर आप ICICI Bank के शेयर खरीद रहे हो तो आप किसी और इन्वेस्टर्स एआईसीसी बैंक के शेयर खरीद रहे हो और अपने शेयर खरीदने के लिए जो पैसे इन्वेस्ट किये है। वो पैसे शेयर सेल करने वाले इन्वेस्टर को मिलते हैं। उस ट्रांजेक्शन में आईसीसी बैंक शामिल नहीं है।
सेकेंडरी मार्केट को आफ्टर मार्केट भी कहते हैं। क्योंकि यह पहले ही इशू किए हुए शेयर ट्रेड होते है। चलो तो अब हम देखते हैं कि प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट में कौन कौनसे मेजर डिफरेंस है।
Difference Between Primary Market & Secondary Market:-
Primary Market | Seconday Market |
प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बॉन्ड इश्यू होते हैं | सेकेंडरी मार्केट में पहले ही इश्यू हुए वे शेयर और बॉन्ड का ट्रेंड होते हैं |
प्राइमरी मार्केट में कंपनी और इन्वेस्टर्स के बीच ट्रांजैक्शन होता है | सेकेंडरी मार्केट में इन्वेस्टर्स के बीच ट्रांजैक्शन होता है। इस ट्रांजेक्सन में कंपनी शामिल नहीं होती है। |
प्राइमरी मार्केट में जब हम पैसे इन्वेस्ट करते है तब वह पैसा सीधा कंपनी के पास जाता है | जब हम सेकेंडरी मार्केट में इन्वेस्ट करते है तब वह पैसा एक इन्वेस्टर से दूसरे इनवेस्टर के पास जाता है। |
प्राइमरी मार्केट में शेयर की प्राइस कंपनी डिसाइड करती है। | सेकेंडरी मार्केट में शेयर की प्राइस सप्लाई और डिमांड से डिसाइड होती है। |
दोस्तों आज का यह आर्टिकल कैसा लगा? और आपका कोई प्रशन या सुझाव है तो आप कमेंट करके जरुर बताना धन्यवाद।