हेल्लो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेगे की फाइनैंशल मार्किट के टाइप Capital Market और Money Market के बारे में।
Market क्या है
मार्केट मतलब ऐसी जगह होती है जहाँ बायर्स और सेलर्स मिलते हैं और ट्रांजैक्शन करते हैं, जैसे कि हमारे डे टु डे लाइफ में लगने वाले प्रोडक्ट्स या चीजें कहीं से भी खरीद सकते हैं। वैसे, हम फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कि स्टॉक्स, बॉन्ड्स, ट्रेजरी बिल्स इत्यादी कहीं से भी नहीं खरीद सकते है।
Financial market
जहाँ पर लोग फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स का लेन देन करते हैं। उसे फाइनैंशल मार्केट(Financial market) कहते हैं। फाइनैंशल मार्केट के दो टाइप्स हैं। Money Market और Capital Market तो अब हम इन दोनों के बारे में समझते है।

Money Market:-
मनी मार्केट में वो फाइनैंशल इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं, जिनके जरिए कंपनी शॉर्ट टर्म के लिए फंड रेस करते हैं। यहाँ पर शॉर्ट टर्म का मतलब है।
1 साल से कम टाइम पीरियड कंपनीज शॉर्ट टर्म में लगने वाले पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कि सर्टिफिकेट्स डिपॉजिट, कॉमर्सियल पेपर, रिपर्चेज अग्रीमेंट।
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इनके जरिए स्टार्टअप के लिए पैसे बोर करती है यानी उधार लेती हैं। मनी मार्केट में मेनली है इंटर बैंकिंग लेंडिंग होती है। जहा बैंक Money Market इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए एक दूसरे को पैसे उधार देते हैं। मनी मार्केट को आरबीआई यानी रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया रेगुलेट करती है।
आप Money Market Account या मनी मार्केट म्यूचुअल फंड के जरिए आसानी से money market में इन्वेस्ट कर सकते हो। मनी मार्केट अकाउंट saving account का एक प्रकार है।
जिसमें आपको Saving Account से ज्यादा रिटर्न मिलता है। लेकिन money market account में मिनिमम बैलेंस की रिक्वायरमेंट्स Saving Account से ज्यादा होती हैं।
Capital Market:-
कैपिटल मार्केट में वह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं। जिनके जरिए कंपनी लॉन्ग टर्म के लिए फंड रेज करते हैं। यहाँ पर लॉन्ग टर्म का मतलब है । 1 साल से ज्यादा टाइम पीरियड कंपनी या गवर्नमेंट अपनी लॉन्ग टर्म में लगने वाले पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए कैपिटल मार्केट, इंस्ट्रूमेंट्स जैसी स्टॉक्स और बॉन्ड के जरिए फंड रेज करते हैं।
Capital Market को SEBI यानि की Securities and Exchange Board of India रेगुलेट करती है। कैपिटल मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में Money Market इंस्ट्रूमेंट्स से ज्यादा रिस्क होता है। और रिटर्न भी मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट से ज्यादा होते है।
Capital Market के दो टाइप है Primary Market And Secondary Market इनको हम नेक्स्ट आर्टिकल में पड़ेगे जिसका लिंक निचे मिल जायेगा।